देहरादून-सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत प्राप्त सूचना के अनुरोध पत्रों और प्रथम अपीलों के निस्तारण में आने वाली व्यावहारिक कठिनाईयों से निपटने तथा अधिनियम के प्रावधानों की जानकारी देने के उद्देश्य से उत्तराखण्ड सूचना आयोग में आज कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा विभाग के विभिन्न जनपदों से कुल 21 लोक सूचना अधिकारियों और विभागीय अपीलीय अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। इसके साथ ही मा० सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा अधिनियम की धारा 4 के तहत सूचनाओं के स्वःप्रकटन हेतु दिए गए आदेश से भी मा० आयोग के द्वारा अवगत कराया गया।
इस दौरान अधिकारियों से अपेक्षा की गयी कि प्रत्येक लोक प्राधिकारी मा० सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में अधिक से अधिक सूचनाओं का स्वःप्रकटन पोर्टल के माध्यम से करना सुनिश्चित करें जिससे कि नागरिकों को सूचनाएं पोर्टल के माध्यम से स्वतः प्राप्त हो सके। नागरिकों को अधिनियम के तहत सूचना मांगने की आवश्यकता न पड़े।
उपस्थित अधिकारियों के द्वारा भारी भरकम सूचनाएं मांगे जाने, एक ही प्रकार की सूचनाएं बार-बार मांगे जाने अथवा अलग-अलग नाम से मांगे जाने, यदि अभिलेख नहीं मिल रहे हैं तो सूचना किस प्रकार दी जाए, सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत अधिकतम कितने लोक सूचना अधिकारी या लोक प्राधिकारी को सूचना का अनुरोध पत्र अंतरित किया जा सकता है, शैक्षिक योग्यता से संबंधित सूचना दी जा सकती है अथवा नहीं, जैसी कठिनाईयों के सम्बन्ध में प्रश्न पूछे गये।
कार्यशाला में श्री सर्वेश कुमार गुप्ता, विधि अधिकारी के द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रावधान के सम्बन्ध विस्तार से जानकारी प्रदान की गयी। आयोग के द्वारा माह में दो बार इस प्रकार की कार्यशाला आयोग में आयोजित किये जाने के सम्बन्ध में अवगत कराया गया जिसमें विभागवार अधिकारियों को बुलाया जाएगा।
इस दौरान विद्यालयी शिक्षा विभाग के उपस्थित अधिकारियों के द्वारा बतायी गयी व्यावहारिक कठिनाईयों के सम्बन्ध में श्री विवेक शर्मा, प्रभारी मुख्य सूचना आयुक्त, विपिन चन्द्र और योगेश भट्ट, राज्य सूचना आयुक्त के द्वारा जानकारी दी गयी।

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