पंतनगर-राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने 116वें अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी के समापन समारोह पर बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर परिसर में शारीरिक शिक्षा अनुभाग द्वारा तरण-ताल के निर्माण का शिलान्यास किया। राज्यपाल ने किसान मेले में लगे स्टॉलों का निरीक्षण कर जानकारियां ली। कार्यक्रम में ओवरऑल बेस्ट परफॉर्मेंस स्टॉल मै0 किसान फर्टिलाइजर एजेंसी काशीपुर को तथा महिला क्लब पंतनगर को बेस्ट समूह का पुरस्कार राज्यपाल द्वारा प्रदान किया गया।
राज्यपाल ने पंतनगर विश्वविद्यालय के 116वें अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी के समापन कार्यक्रम में सम्बोधित करते हुए कहा कि देश के अन्नदाताओं और आप सभी के बीच उपस्थित होने पर मुझे अपार खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह गर्व की बात है कि 1960 में देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय, गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर स्थापित किया गया। जो आज पूरे देश में सबसे व्यापक और समृद्ध कृषि विश्वविद्यालयों में एक है। हम सभी जानते हैं कि इस विश्वविद्यालय का कृषि के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा है।
उन्होंने कहा कि अनुसंधान मतलब इनोवेशन और नए आइडिया के साथ देश को आगे बढ़ाने का संकल्प, जो इक्कीसवीं सदी में समय की मांग है। उन्होंने कहा कि आज समय आ गया है जब हमें नए संकल्प के साथ नई दिशा की ओर कदम बढ़ाने की जरूरत है। हमारे कृषि वैज्ञानिकों को कृषि उत्पादकता और खाद्य प्रसंस्करण की समस्याओं के समाधान के लिए संकल्प के साथ काम करना होगा व काश्तकारों के जीवन को आसान बनाने की दिशा में भी और काम करना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि आज देश में कृषि के समक्ष बढ़ती जनसंख्या, सिकिड़ती कृषि भूमि, गिरते भू-जल स्तर, मिट्टी की घटती उर्वरता और जलवायु परिवर्तन जैसी अनेक चिन्तनीय समस्याएं उपस्थित हैं, जिनका समाधान खोजना आप जैसे कृषि पेशेवरों का दायित्व है। आपको ऐसे प्रयास करने होंगे जिससे हमारी विशाल जनसंख्या को, पर्यावरण और जैव-विविधता को कम से कम नुकसान पहुंचे और पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराया जा सके। कृषि पेशेवरों के लिए यह एक चुनौती भी है और अवसर भी।
उन्होंने कहा कि खेती की लागत कम करने, उत्पादकता बढ़ाने, कृषि को पर्यावरण के अनुकूल और अधिक लाभदायक बनाने में टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका है।
राज्यपाल ने कहा कि आज हम क्लाइमेट चेंज जैसी बड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। उत्तराखंड की इकोलॉजी और एनवायरमेंट भी बहुत ही नाजुक एवं संवेदनशील हैं। इसलिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और संवर्धन करते हुए आगे बढ़ाने, हमारा लक्ष्य होना चाहिए। महामहिम ने कहा कि उत्तराखण्ड के विशिष्ट उत्पादों पर अनुसंधान कर यदि उनके विभिन्न प्रकार के बिस्कुट, पैक्ड फूड, बेबीफूड, जैम, जैली, अचार, फल आधारित पेय आदि बनाए जाएं तो प्रदेश एवं किसान दोनो को लाभ होगा।
राज्यपाल ने वैज्ञानिकों से आग्रह करते हुए कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा विकसित तकनीक को दूरस्थ क्षेत्र के अन्तिम पायदान पर बैठे कृषकों तक पहुंचाया जाएं। कृषकों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने एवं उनकी आय वृद्धि के लिए प्रयास किए जाएं। किसान संपन्न और खुश रहेगा तभी देश में खुशहाली आएगी। उन्होंने अपेक्षा जताते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय प्रदेश की विशेषताओं एवं आवश्यकताओं के अनुरूप शोध एवं प्रसार करते हुऐ उत्तराखण्ड़ के किसानों, विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र के किसानों की आय में वृद्धि कर उन्हें कृषि से जोड़े रखने व पलायन रोकने में अपनी सक्रिय भूमिका निभायेगा।
कार्यक्रम में कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने विश्वविद्यालय की कार्य प्रगतियों की जानकारियां देते हुए बताया कि इस चार दिवसीय किसान मेले में 481 स्टॉल लगाए गए, मेले में 1 करोड़ 20 लाख के बिक्री हुई, 13 हजार कुंतल बीज विक्रय किया गया, विश्वविद्यालय को 52 लाख की आय प्राप्त हुई। उन्होंने बताया कि मेले में 27 हजार 5 सौ किसानों द्वारा प्रतिभाग किया गया जिसमें नेपाल के किसानों द्वारा भी प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम में प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा द्वारा अपने विचार व्यक्त किए गए।

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