1. सच्चा सशक्तिकरण हाथ थामने से होता है, मुफ्त दान से नहीं: उपराष्ट्रपति धनखड़
नई दिल्ली, संवाददाता (13 मई, 2025):
भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज दिल्ली में मेघालय से आए स्वयं सहायता समूहों (SHG) के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि “सशक्तिकरण का सही अर्थ है किसी जरूरतमंद व्यक्ति का हाथ थामना और उसे अपने पैरों पर खड़े होने की ताकत देना।”
उन्होंने कहा कि “जब कोई स्वयं कमाकर आगे बढ़ता है, तो उसमें आत्मविश्वास आता है, परिवार को गर्व होता है और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मुफ्त उपहार या दान आत्मनिर्भरता नहीं, बल्कि निर्भरता को बढ़ावा देते हैं।”
2. जब महिलाएं आगे बढ़ती हैं, तब होता है संतुलित विकास
उपराष्ट्रपति ने महिला सशक्तिकरण को समावेशी विकास का आधार बताया। उन्होंने कहा, “जब महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनती हैं, तो समाज में स्थायित्व और संतुलन आता है।”
उन्होंने बताया कि मेघालय में महिला नेतृत्व के चलते SHG के रिवॉल्विंग फंड और कार्यक्षमता में दस गुना वृद्धि हुई है, जो राज्य में हो रहे परिवर्तन का स्पष्ट संकेत है। “महिलाओं का आगे आना न केवल समाज को सशक्त करता है, बल्कि भावी पीढ़ियों को भी नई दिशा देता है,” उन्होंने जोड़ा।
3. पूर्वोत्तर भारत हमारा रत्न है, मेघालय बना पर्यटन का स्वर्ग
श्री धनखड़ ने पूर्वोत्तर भारत को देश का “रत्न” बताते हुए विशेष रूप से मेघालय की भौगोलिक और सांस्कृतिक सुंदरता की सराहना की।
उन्होंने कहा, “1990 के दशक में केंद्र सरकार ने ‘लुक ईस्ट’ नीति अपनाई थी, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक नया आयाम देकर ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के रूप में सक्रिय रूप से लागू किया।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मेघालय की हरी-भरी घाटियाँ, जलप्रपात और जनजातीय संस्कृति इसे पर्यटन की दृष्टि से वैश्विक मानचित्र पर विशेष स्थान दिलाते हैं। उन्होंने इसे “प्रकृति का अनमोल उपहार” बताया।
4. जनजातीय संस्कृति हमारी असली संपदा
देश की जनजातीय संस्कृति को गौरवपूर्ण बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि “हमारी जनजातीय परंपराएं हमारी सामाजिक विविधता की आत्मा हैं।”
उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज में न केवल पर्यावरण के साथ तालमेल है, बल्कि उनमें सहजीवन, समानता और आत्मनिर्भरता की भावना भी कूट-कूट कर भरी होती है।
“हमारी जनजातीय संस्कृति हमारी असली संपदा है, और इसे संरक्षित व सम्मानित करना हम सबका कर्तव्य है,” उन्होंने दोहराया।
5. 13% जीएसडीपी वृद्धि के लिए मेघालय को बधाई
उपराष्ट्रपति ने मेघालय की आर्थिक प्रगति पर विशेष प्रसन्नता व्यक्त की।
उन्होंने बताया कि राज्य ने वर्ष दर वर्ष 13 प्रतिशत की दर से सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में वृद्धि दर्ज की है।
“मेघालय भले ही भौगोलिक रूप से बड़ा राज्य न हो, लेकिन इसका दिल बड़ा है। आपने अब तक 66,000 करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था हासिल की है और 2028 तक 10 बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य तय किया है — यह लक्ष्य प्रेरणादायक है,” उन्होंने कहा।
6. दूरदर्शी नेतृत्व देता है सही दिशा: उपराष्ट्रपति
श्री धनखड़ ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि, “पिछले एक दशक में देश में जो प्रगति हुई है, वह दूरदर्शी और निर्णायक नेतृत्व की देन है।”
उन्होंने बताया कि ऐसे नेतृत्व से अधिकारियों को स्पष्ट दिशा मिलती है और वे जनता के हित में समर्पित होकर कार्य करते हैं।
“आज देश शासन, प्रौद्योगिकी, महिला विकास और आधारभूत संरचना के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हासिल कर रहा है, वह वैश्विक मंच पर गर्व का विषय हैं,” उपराष्ट्रपति ने कहा।
7. पर्यटन, आईटी और खनन में अपार संभावनाएं
उपराष्ट्रपति ने मेघालय की आर्थिक क्षमताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राज्य में पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी, सेवा क्षेत्र और खनन में असीम संभावनाएं हैं।
उन्होंने मानव संसाधन को स्वतंत्र बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि “राज्य में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। आवश्यकता है तो केवल मार्गदर्शन और अवसरों की।”
“मानव संसाधन का पोषण और महिलाओं की भागीदारी से ही आर्थिक और सामाजिक प्रगति संतुलित रूप ले सकती है,” उन्होंने कहा।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
इस कार्यक्रम में मेघालय के मुख्यमंत्री श्री कोनराड संगमा समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। उन्होंने भी SHG की सफलता और राज्य की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला।