देहरादून-राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में आयोजित उत्तर क्षेत्र के कुलपतियों के सम्मेलन का शुभारंभ किया। भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) द्वारा आयोजित दो दिवसीय इस सम्मेलन में नॉर्थ जोन के 100 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति प्रतिभाग कर रहे हैं, जबकि कई कुलपति इस सम्मेलन में वर्चुअल रूप से जुड़े।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आज उच्च शिक्षा का परिदृश्य एक उल्लेखनीय परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। जैसे-जैसे वैश्विक परिवर्तन की गति तेज हो रही है, प्रौद्योगिकी हमारे जीने, काम करने और सीखने के तरीके को बदल रही है। उन्होंने कहा कि हमारे शैक्षणिक संस्थान इन परिवर्तनों को अपनाने के लिए विकसित हों इस पर विशेष प्रयास करने की जरूरत है।
राज्यपाल ने कहा कि आज के महत्वपूर्ण बदलाव के दौर में, जहाँ तकनीकी एकीकरण उच्च शिक्षा के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह सही समय है कि हम अपनी उच्च शिक्षा प्रणाली को तकनीकी नवाचारों के साथ जोड़ें ताकि हम एक ऐसे प्रगतिशील समाज की स्थापना कर सकें जो ज्ञान, अनुसंधान और नवाचार पर आधारित हो, जिससे वे भविष्य की चुनौतियों का सामना आसानी से कर सकें।
आज की युवा पीढ़ी को ज्ञान प्राप्त करने के लिए व्यावहारिक कौशल व अनुभव की भी आवश्यकता है। तकनीकी एकीकरण का अर्थ केवल डिजिटल उपकरणों का उपयोग करना नहीं है, बल्कि यह छात्रों के सीखने के अनुभव को समृद्ध करना है। इसलिए, हमें ऑनलाइन शिक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों का भरपूर उपयोग करना होगा और यह सभी वर्तमान समय की मांग है।
राज्यपाल ने कहा कि हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि तकनीकी एकीकरण केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित न रहे बल्कि इनका ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के विद्यार्थियों को भी समान अवसर मिलना चाहिए, ताकि हम डिजिटल विभाजन को समाप्त कर सकें और सभी को तकनीकी संसाधनों की पहुंच प्रदान कर सकें। उन्होंने कुलपतियों से आग्रह किया कि आप सभी की यह जिम्मेदारी है कि आप हमारी युवा पीढ़ी को 21वीं सदी में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक तकनीक और कौशल से लैस करें। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालयों का महत्वपूर्ण योगदान है।

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