शैलेश मटियानी पुरस्कार और राज्य शैक्षिक पुरस्कार से सम्मानित, डॉ. रविंद्र कुमार सैनी उत्तराखंड के श्री गुरु राम राय इंटर कॉलेज, सहसपुर, देहरादून के प्रधानाचार्य हैं। उनका जीवन संघर्ष और प्रेरणा का प्रतीक है। उन्होंने प्रतीतपुर ग्राम पंचायत विकास नगर, एक गरीब किसान परिवार में जन्म लिया। उनकी पत्नी भी शिक्षिका हैं, और उनके दो बेटियां डॉक्टर हैं तथा एक बेटा IT इंजीनियर है।  

शिक्षा प्राप्त करने के बाद, डॉ. सैनी ने अपने जीवन का उद्देश्य गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षित करना बनाया। इसके लिए उन्होंने शिक्षक के रूप में कार्य शुरू किया और बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान* को प्रोत्साहित किया। उन्होंने बेटियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए गोद लेने का अभियान चलाया और उन्हें शिक्षित किया। उनके प्रयासों से आज कई बेटियां शिक्षित होकर समाज में अपना योगदान दे रही हैं।  

डॉ. सैनी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख पत्र ‘ऑर्गनाइजर’ में राज्य प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया और अन्य पत्र-पत्रिकाओं में लेखन कार्य भी किया। वे सांसद प्रतिनिधि और पूर्व मुख्यमंत्री बी. सी. खंडूरी के जनसंपर्क अधिकारी भी रहे।  भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ के दो बार प्रदेश सँयोजक और हरबर्टपुर नगरपालिका का ब्रैंड एम्बेसडर भी हैं।

राज्यपाल, मंत्रीगण और विभिन्न संगठनों द्वारा डॉ. रविंद्र कुमार सैनी को शिक्षा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए कई बार सम्मानित किया गया है। उनके कार्यों की सराहना देश की विभिन्न हस्तियों द्वारा की गई है, जिन्होंने उनके नाम पर अंग्रेजी में कविताएं लिखी हैं।  डॉ. सैनी का जीवन न केवल एक प्रेरणा है, बल्कि उनके अद्भुत कार्यों ने समाज में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने का कार्य किया है।

उनका यह सफर शिक्षा के प्रति समर्पण, निरंतर प्रयास, और छात्रों के लिए प्रेरणा देने का उदाहरण प्रस्तुत करता है, डॉ. रविंद्र कुमार सैनी से शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर वरिष्ठ पत्रकार  हरिशंकर सिंह ने साक्षात्कार किया, प्रस्तुत है साक्षात्कार के प्रमुख अंश-

 

आपको शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, इसके लिए आपको क्या महसूस हो रहा है और इस सम्मान का आपके लिए क्या महत्व है?

उत्तर: मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मेरे छोटे से प्रयासों को राज्य सरकार ने सराहा। इस सम्मान का मेरे लिए बहुत महत्व है, क्योंकि यह मुझे और मेरे टीम के लोगों को प्रेरित करता है कि हम अपने कार्य को और बेहतर तरीके से करें। पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने संबोधन में कहा था कि अच्छा प्रधानाचार्य वही है जो “अभाव में भी प्रभाव “दिखाने में सफल हो सके। मैंने अपने विद्यालय में समाज के सहयोग से एक करोड रुपए से भी अधिक प्राप्त करके अनेक प्रकार के संसाधन जुटाऐ। 1 अप्रैल 2014 को मैंने प्रधानाचार्य के रूप में जब कार्यभार संभाला था तो विद्यालय की छात्र संख्या लगभग 500 थी जो आज की तारीख में 1376 हो गई है। मैंने अपने कार्यकाल में इंटरमीडिएट स्तर पर अपने विद्यालय को विज्ञान वर्ग, कृषि वर्ग, वाणिज्य वर्ग की मान्यता दिलवाकर कक्षाएं संचालित की हैँ।। आपको आश्चर्य होगा यह जानकर कि इन तीनों वित्त विहीन कक्षाओं को संचालित करने के लिए चार शिक्षकों का मानदेय दून इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन डॉ. दविंदर सिंह माध दे रहे हैं और एक शिक्षक का मानदेय इंडियन पब्लिक स्कूल राजा वाला के चेयरमैन डॉ.आर.के. सिन्हा जो कि राज्यसभा के पूर्व सांसद हैं लगातार दे रहे हैं। साहित्य के क्षेत्र में भी मैंने कई पुस्तकें लिखी हैं। इन सभी उपलब्धियां के लिए मुझे यह पुरस्कार प्राप्त हुआ था

आपने ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ अभियान को कितना प्रोत्साहित किया है? इसके तहत आपके द्वारा किए गए प्रमुख कार्य क्या रहे हैं?

उत्तर: इस अभियान को मैं अपने विद्यालय में हमेशा बढ़ावा देता रहा हूं। हमने बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए, जैसे कि स्कूल में विशेष शिक्षा शिविर और महिलाओं के लिए विभिन्न सहायता कार्यक्रम। जिन बालिकाओं के माता-पिता नहीं है और वे पढ़ना चाहती हैं, उनकी हमारे इस अभियान के अंतर्गत सहायता की जाती है। उनके पूरे वर्ष का शुल्क कक्षा अध्यापक को जमा करा दिया जाता है और अन्य प्रकार से भी ऐसी बालिकाओं की सहायता की जाती है । मेरे इस बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में कई समाजसेवी, शिक्षक, राजनेता ,शिक्षाविद सहभागिता कर योगदान दे चुके हैं। हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, सांसद, विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती रितु खंडूरी भूषण, राज्य सभा सांसद नरेश बंसल मेरे इस अभियान की प्रशंसा करते हुए अपना योगदान दे चुके हैं ।और मुझे आशा है कि महामहिम राज्यपाल उत्तराखंड भी मेरे इस अभियान के कार्यक्रम में योगदान देंगे और मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होंगे ऐसा उन्होंने मुझसे कहा भी है ।

बालिका शिक्षा के क्षेत्र में आपके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताएं। इस दिशा में आपके विद्यालय ने कौन से विशेष प्रयास किए हैं?

उत्तर: बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हमने स्कूल में विशेष छात्रवृत्तियाँ दीं, और बालिकाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। हमने उन्हें नेतृत्व के अवसर भी दिए ताकि वे अपनी क्षमता को पहचान सकें। यही कारण है कि हमारे विद्यालय में बालकों से अधिक बालिकाओं की सँख्या है।

आपके विचार में शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य क्या होना चाहिए, और इसमें सुधार लाने के लिए आपको किन प्रमुख बदलावों की आवश्यकता महसूस होती है?

उत्तर: शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बच्चों को जीवन में सही दिशा दिखाना और उनका सर्वांगीण विकास करना है। सुधार के लिए हमें शिक्षा पद्धति में थोड़ा बदलाव लाना चाहिए, जैसे कि बच्चों को केवल किताबों तक सीमित न रखकर उनके व्यक्तित्व का भी विकास किया जाए।

आपके अनुसार उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में किस प्रकार की चुनौतियाँ हैं और उन्हें दूर करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

उत्तर: उत्तराखंड में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का स्तर अपेक्षानुरूप नहीं है। इसके लिए हमें वहाँ के स्कूलों में शिक्षकों की गुणवत्ता को सुधारने के साथ-साथ बच्चों के लिए बेहतर सुविधाएँ मुहैया करानी होंगी।

आपके स्कूल में छात्रों के लिए कौन सी विशेष योजनाएँ हैं, जो उन्हें जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती हैं?

उत्तर: हमारे विद्यालय में छात्रों के लिए हर साल जीवन कौशल (life skills) पर विशेष कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं, जैसे कि समय प्रबंधन, आत्मविश्वास, और टीमवर्क पर फोकस किया जाता है, ताकि वे अपनी ज़िन्दगी में सफलता प्राप्त कर सकें। कई शिक्षाविदों, आई.ए.एस. अधिकारियों के द्वारा छात्रों का मार्गदर्शन करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।

आपने अपने विद्यालय में जो शिक्षण पद्धतियाँ अपनाई हैं, उनका छात्र-छात्राओं पर क्या प्रभाव पड़ा है? क्या आप उदाहरण देकर हमें बता सकते हैं?

उत्तर: हमने शिक्षा को रोचक बनाने के लिए नए-नए तरीकों का इस्तेमाल किया है, जैसे प्रोजेक्ट कार्य और ग्रुप डिस्कशन। इसका असर यह हुआ कि छात्रों में विषय को समझने की क्षमता बढ़ी और वे अधिक सक्रिय रूप से पढ़ाई में शामिल हुए।

शिक्षा के क्षेत्र में समाज में जागरूकता फैलाने के लिए आपके क्या दृष्टिकोण हैं? खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के महत्व को कैसे बढ़ावा दिया जाए?

उत्तर: समाज में जागरूकता फैलाने के लिए हमें अधिक से अधिक जागरूकता अभियान चलाने होंगे, और माता-पिता को यह समझाना होगा कि शिक्षा बच्चों के भविष्य के लिए कितनी जरूरी है। इसके अलावा, स्कूलों में बच्चों और उनके परिवारों के लिए शिक्षा के लाभ पर विशेष जानकारी दी जानी चाहिए।

आपके लिए प्रेरणा का स्रोत कौन है और आप किस प्रकार की शिक्षा पद्धतियों को अपने जीवन में अपनाते हैं?

उत्तर: मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत मेरे शिक्षक और समाज के वे लोग हैं जिन्होंने संघर्ष करके शिक्षा को महत्व दिया। मैं हमेशा छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने वाली शिक्षा पद्धतियाँ अपनाता हूं, ताकि वे जीवन में किसी भी चुनौती का सामना कर सकें।

आने वाले समय में आपके विद्यालय के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं? क्या आप कुछ नया शुरू करने की सोच रहे हैं?

उत्तर: आने वाले समय में हम विद्यालय में डिजिटल शिक्षा को और बेहतर बनाने की योजना बना रहे हैं, ताकि बच्चों को नई तकनीकी जानकारी मिले। इसके साथ ही हम बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देंगे, जैसे खेलकूद और योग कार्यक्रम।

शिक्षा के क्षेत्र में आपके अनुसार तकनीकी नवाचार और डिजिटल शिक्षा का कितना महत्व है और इसके बारे में आपके विचार क्या हैं?

उत्तर: तकनीकी नवाचार और डिजिटल शिक्षा का बहुत बड़ा महत्व है, क्योंकि यह बच्चों को वैश्विक स्तर पर जुड़ने का मौका देती है। हमें डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का सही तरीके से उपयोग करना चाहिए ताकि शिक्षा में नई संभावनाएँ खुल सकें।

आपने शिक्षा के क्षेत्र में इतने सालों तक काम किया है, क्या कोई ऐसी खास घटना या अनुभव है जिसने आपके दृष्टिकोण को बदल दिया हो?

उत्तर: हां, एक बार एक छात्रा ने मेरे पास आकर कहा कि उसने मेरी प्रेरणा से अपनी पढ़ाई जारी रखी, भले ही उसके परिवार में आर्थिक कठिनाइयाँ थीं। उस क्षण ने मुझे यह समझने में मदद की कि शिक्षा का असर सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह जीवन को पूरी तरह बदल सकता है।

आपके विद्यालय में शिक्षकों की भूमिका को आप किस प्रकार से देखते हैं? क्या आपको लगता है कि शिक्षक को केवल ज्ञान देना ही पर्याप्त है या इससे भी आगे कुछ और ज़रूरी है?

उत्तर: मुझे लगता है कि शिक्षक का काम केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि बच्चों को अच्छे इंसान बनाना भी है। शिक्षक को बच्चों के भावनात्मक और मानसिक विकास पर भी ध्यान देना चाहिए ताकि वे जीवन में संतुलित और समझदार व्यक्ति बन सकें।

किसी विद्यार्थी के लिए शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए क्या तीन सबसे महत्वपूर्ण गुण हैं, जिनकी आपको हमेशा प्रेरणा मिलती है?

उत्तर: शिक्षा में उत्कृष्टता पाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण गुण हैं – मेहनत, समर्पण और समय का सही प्रबंधन। इन तीन गुणों को अपनाकर कोई भी विद्यार्थी सफलता पा सकता है।

कभी कोई ऐसा वक्त आया जब आपको लगा कि आपकी मेहनत रंग लाई? क्या आप हमें उस क्षण के बारे में बता सकते हैं?

उत्तर: एक बार जब हमारे स्कूल के कई छात्रों ने राज्य स्तर पर पुरस्कार जीते, तो मुझे महसूस हुआ कि मेरी मेहनत सफल हो रही है। यह मेरे लिए सबसे खुशी का पल था, क्योंकि यह हमारे प्रयासों का परिणाम था। मेरे पढ़ाई में कई विद्यार्थी आज विदेश में नाम कमा रहे हैं मेरे ही पढ़ाई में विद्यार्थी भौतिक और आध्यात्मिक शिखर को प्राप्त कर रहे हैं

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