देहरादून में 10वें वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो के तीसरे दिन आयुष विशेषज्ञों ने नवीन उपचार तकनीकों पर की चर्चा
देहरादून, 14 दिसंबर 2024: 10वें वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो 2024 के तीसरे दिन, देहरादून के परेड ग्राउंड में विभिन्न प्लेनरी सेशन्स में देश-विदेश के आयुष विशेषज्ञों ने आयुष के क्षेत्र में की गई नई खोजों, उपचार पद्धतियों और चिकित्सा तकनीकों पर चर्चा की। इस दिन के सत्रों में कई दिलचस्प और प्रासंगिक विषयों पर प्रस्तुतीकरण दिए गए, जिन्होंने श्रोताओं के बीच उत्सुकता और जागरूकता पैदा की।
नेत्र चिकित्सा के लिए “दृष्टि यंत्र” की खोज:
इस दिन के प्रमुख प्रस्तुतीकरणों में से एक नेत्र चिकित्सा से संबंधित था, जिसमें एक नवीन “नेत्र तर्पण दृष्टि यंत्र” का परिचय दिया गया। इस यंत्र का उपयोग औषधीय तेल के माध्यम से आंखों की चिकित्सा करने के लिए किया जाता है, जो आयुर्वेदिक उपचार पद्धतियों में एक नई दिशा का प्रतीक है। विशेषज्ञों ने बताया कि यह यंत्र आंखों की अनेक समस्याओं जैसे दृष्टिहीनता और अन्य दृष्टि दोषों के उपचार में कारगर हो सकता है।
धूम्रपान उपचार में औषधीय धूम्रपान:
निर्दोष नामक कंपनी ने अपनी “औषधीय धूम्रपान उपचार प्रक्रिया” का प्रस्तुतीकरण किया, जिसमें तुलसी, नीम, हल्दी और अजवाइन के समावेश से बनाई गई धूम्रपान वर्तिका पेश की गई। इस औषधीय धूम्रपान प्रक्रिया ने लोगों के बीच काफ़ी उत्सुकता और ध्यान आकर्षित किया, क्योंकि यह धूम्रपान और अन्य शारीरिक समस्याओं के उपचार में सहायक हो सकती है।
चर्म रोगों के उपचार में दारूहरिद्रा (बर्बेरिन):
चर्म रोगों के उपचार में दारूहरिद्रा (बर्बेरिन) की उपयोगिता पर भी चर्चा की गई, जिसमें इसे चर्म रोगों की प्रभावी औषधि के रूप में प्रस्तुत किया गया। विशेषज्ञों ने बताया कि दारूहरिद्रा के कई लाभकारी गुण हैं, जो त्वचा की बीमारियों और संक्रमणों के इलाज में कारगर साबित होते हैं।
पशु चिकित्सा में आयुर्वेद का योगदान:
पिंडरहॉल में आयुर्वेद के माध्यम से पशु चिकित्सा पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। इस सत्र में विशेषज्ञों ने पशुओं में होने वाले चर्म रोगों, दूध से संबंधित विकारों और औषधियों पर चर्चा की, जिन्हें आयुर्वेदिक उपचारों से ठीक किया जा सकता है। इसके साथ ही, पशु स्वास्थ्य और दूध उत्पादक औषधीय पर भी विचार विमर्श किया गया।
मकड़ी के दंश से होने वाले रोगों का उपचार:
इस सत्र में मकड़ी के दंश से होने वाली बीमारियों पर भी चर्चा की गई, जिसमें इस तरह के दंश से होने वाले रोगों का आयुर्वेदिक उपचार प्रस्तुत किया गया। इस सत्र को डॉ. स्मिता ने प्रस्तुत किया, जिन्हें इस शोध पर आधारित बेस्ट पेपर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
उत्तराखंड आयुष नीति 2023:
कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड की आयुष नीति-2023 के प्रावधानों की भी जानकारी दी गई, जिसमें राज्य सरकार की योजनाओं और प्रयासों को साझा किया गया। इस नीति का उद्देश्य आयुष उपचारों को बढ़ावा देना और राज्य में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों के बेहतर कार्यान्वयन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना है। आयुष नीति के त्वरित और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव भी प्रस्तुत किए गए।
आयुष उपचारों के भविष्य की दिशा:
इस आयोजन ने न केवल आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध और नई तकनीकों को उजागर किया, बल्कि आयुष चिकित्सा को आधुनिक संदर्भ में स्थापित करने का प्रयास भी किया। विशेषज्ञों ने इसके भविष्य के विकास और वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद को एक मानक चिकित्सा पद्धति के रूप में स्थापित करने के लिए कई महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए।
10वें वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो का यह तीसरा दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा के भविष्य, उसकी संभावनाओं और नई खोजों के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ। इस आयोजन ने आयुष विशेषज्ञों को एक मंच पर लाकर आयुर्वेद के समृद्ध इतिहास और इसके आधुनिक दृष्टिकोण को साझा करने का अवसर प्रदान किया।