मुख्य परिसर में ट्रांजिशन करिकुलम प्रोग्राम का समापन समारोह संपन्न हुआ

हर्रावाला । उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय मुख्य परिसर के नव आगंतुक प्रथम व्यवसायिक बीएएमएस 2024 बैच विद्यार्थियों हेतु आयुर्वेद शिक्षण की नियामक संस्था भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए राष्ट्रीय आयोग, आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निर्धारित छात्रों के सर्वांगीण विकास एवं मोटिवेशन के लिए निर्धारित ट्रांजिशन करिकुलम (इंडक्शन प्रोग्राम) का 15 दिवसीय प्रशिक्षण सत्र के पूर्ण होने पर पर एक समापन समारोह का आयोजन किया गया। समापन समारोह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के सभागार में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अरुण कुमार त्रिपाठी जी की अध्यक्षता में आयोजित हुआ । जिसमें रामजीशरण शर्मा कुलसचिव का सानिध्य प्राप्त हुआ । सर्वप्रथम दीप प्रज्वलन, धनवंतरी वंदना के उपरांत के प्रो0 (डा०)आलोक कुमार श्रीवास्तव प्रभारी परिसर निदेशक मुख्य परिसर, हर्रावाला ने कुलपति एवं कुलसचिव महोदय का स्वागत किया एवं ट्रांजिशन करिकुलम के अंतर्गत किए जाने वाले इंडक्शन कार्यक्रम की अवधारणा एवं इससे विद्यार्थियों पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव के बारे में बताया । अध्यक्ष उद्बोधन में प्रोफेसर अरुण कुमार त्रिपाठी ने कहा कि आज आयुर्वेद सर्वमान्य चिकित्सा पद्धति के रूप में देश विदेश स्थापित हो रहा है। निरंतर आयुर्वेदिक प्रिस्क्रिप्शन की डिमांड बढ़ रही है। आता यह आवश्यक है भारत सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार विद्यार्थियों को गुणवत्ता परक शिक्षा मिले जिससे हमारे विश्वविद्यालय से पास होने के बाद आयुर्वेद की ख्याति और गरिमा को स्थापित कर सके। कुलसचिव रामजी शरण शर्मा ने कहा की आयुर्वेद ज्ञान बहुत ही विस्तृत एवं समृद्ध है। अष्टांग आयुर्वेद के माध्यम से हम अपने शरीर एवं मन को संपूर्ण रूप से प्राकृतिक तरीके से स्वस्थ रख सकते हैं । आयुर्वेद के साथ उन्होंने गुणवत्ता युक्त औषधि निर्माण के माध्यम से रोजगार सृजन की संभावना के बारे में बताया तथा वर्तमान समय के अनुसार आयुर्वेद एवं ज्योतिष आदि वैदिक विधाओं के साथ समन्वय एवं रिसर्च ओरिएंटेड कार्य प्रणाली विकसित करने का आवाहन किया। परिसर निदेशक प्रो०(डा०)आलोक श्रीवास्तव ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा के द्वारा हम स्वस्थ जीवन शैली, दिनचर्या, ऋतुचर्या, सद्वृत, आचार रसायन द्वारा स्वयं को संपूर्ण रूप से स्वस्थ रख सकते हैं रोग निवारण के लिए आज सारी दुनिया में आयुर्वेद पद्धति को अपनाया जा रहा है क्योंकि इसमें दुष्परिणाम नहीं होते हैं एवं वर्तमान समय में आयुर्वेद की शोधन विद्या- पंचकर्म अत्यधिक रूप से पॉपुलर हो रही है। बीएएमएस के उपरांत मेडिकल ऑफिसर, चिकित्सक ,शिक्षक एवं फार्मेसी प्रकल्प लगाकर, वैलनेस केंद्र आदि खोलकर विभिन्न क्षेत्रों में धन, सफलता एवं ख्याति प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा मुख्य परिसर में एनसीआईएसएम में द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम को यहां पर पूर्ण वैज्ञानिक एवं मनोवैज्ञानिक तरीके से सुयोग्य एवं दक्ष शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को श्रेष्ठ चिकित्सक के रूप में पारंगत किया जाता है। मुख्य परिसर का चिकित्सालय भी विद्यार्थियों के चिकित्सा अभ्यास के लिए एक आदर्श जगह है। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ वर्षा सक्सैना एवं डॉ प्रदीप सेमवाल ने किया। कार्यक्रम में नवागंत छात्रों को चरक की शपथ दिलवाई गई । मेडल प्रदान किए गए। एवं नशा मुक्ति के लिए भी शपथ दिलवाई गई। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव संजीव पांडेय, वरिष्ठ शिक्षकगण डॉ जया सकलानी काला, डा० शिशिर प्रसाद, डॉ नंदकिशोर दधीचि, डा० अमित तमाड्डी, डा० अखिलेश जैन, डा० सुनील पांडे, डॉ ऋषि आर्य, डा० नितेश आनंद, डा० आकांक्षा, डा० रिचा शर्मा, डा० प्रबोध ऐरावर आदि शिक्षक गण उपस्थित रहे।

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