योग शिक्षिका और उत्तराखंड में योग जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक कर रही डॉ. दीपिका विकास जोशीउत्तराखंड की प्रमुख विराट शख्सियत हैं। वे योग के शारीरिक, मानसिक और आत्मिक लाभों के प्रति लोगों को जागरूक करती हैं। कई योग शिविरों और कार्यशालाओं का आयोजन कर उन्होंने राज्य में योग को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका उद्देश्य समाज में स्वास्थ्य और संतुलित जीवनशैली को बढ़ावा देना है।

डॉ. दीपिका विकास जोशी योग और शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर प्रयास, समर्पण और प्रेरणा का प्रतीक है। उनकी जीवन यात्रा न केवल उनके व्यक्तिगत विकास की कहानी है, बल्कि यह समाज को एक स्वस्थ, शांति और समृद्ध जीवन जीने की प्रेरणा भी देती है। डी डी कॉलेज निम्बूवाला देहरादून की पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर दीपिका विकास जोशी का जन्म से अब तक का सफर उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने वाली एक प्रेरणादायक यात्रा रही है। योग और शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान उल्लेखनीय है, और वे कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं।

डॉ दीपिका का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, जहां शिक्षा का बहुत महत्व था। बचपन से ही उन्होंने अपनी शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त की और योग के प्रति गहरी रुचि विकसित की। उनकी प्रारंभिक शिक्षा के बाद, उन्होंने उच्च शिक्षा की ओर कदम बढ़ाया और योग के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता हासिल की।

डॉ दीपिका ने अपने जीवन में योग को एक गहरे उद्देश्य के रूप में अपनाया। योग का अभ्यास और अध्ययन करते हुए, उन्होंने इसके शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों को महसूस किया और इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। इसके बाद उन्होंने योग शिक्षक के रूप में प्रशिक्षण शुरू किया और लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाने के लिए योग का प्रचार करना शुरू किया।

डॉ दीपिका ने योग और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। एक शिक्षिका के रूप में उनका उद्देश्य छात्रों को न केवल शारीरिक व्यायाम, बल्कि मानसिक शांति और आत्मसुधार की दिशा में भी मार्गदर्शन देना था। वे अकादमिक संस्थानों में योग के महत्व को समझाने और उसे छात्रों के जीवन का हिस्सा बनाने के लिए कार्यरत रही हैं।दीपिका का मानना है कि योग सिर्फ शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। उन्होंने समाज में योग के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कई पहल की हैं और खुद को एक प्रेरणादायक मार्गदर्शक के रूप में स्थापित किया है।

डॉ. दीपिका ने कई उच्च शिक्षण संस्थानों में योग शिक्षक के रूप में कार्य किया और अनुसंधान गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने छात्रों को योग सिखाने के साथ-साथ पत्र पत्रिकाओं में कई लेख भी प्रकाशित किए हैं।क्षेत्र में उनके योगदान को कई पुरस्कारों और मान्यताओं से सराहा गया हैउनका यह सफर योग शिक्षा के प्रति समर्पण, निरंतर प्रयास, और छात्रों के लिए प्रेरणा देने का उदाहरण प्रस्तुत करता हैडॉ. दीपिका विकास जोशी से योग के विभिन्न पहलुओं पर वरिष्ठ पत्रकार  हरिशंकर सैनी ने साक्षात्कार किया, प्रस्तुत है साक्षात्कार के प्रमुख अंश-

आपने योग को क्यों चुना और इसके प्रति आपका आकर्षण कैसे बढ़ा?

उत्तर: मैंने योग को इसलिए चुना क्योंकि यह शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में मुझे शांति और संतुलन प्रदान करता है। शुरू में, मैं कथक नृत्य की पढ़ाई कर रही थी लेकिन तब ज्यादा फुटवर्क की वजह से मेरे घुटनों में दर्द होने लगा और डॉ ने मुझे सर्जरी के लिए बोल दिया।तब मैने योग विषय को चुना और मुझे 6 महीने में इसका असर दिखा।जैसे-जैसे मैंने योग का अभ्यास किया,मुझे इसके शारीरिक,मानसिक और भावनात्मक लाभ का भी अनुभव हुआ।

आपने योग शिक्षा में किस प्रकार की चुनौतियाँ और अवसर महसूस किए हैं?

उत्तर: योग शिक्षा में सबसे बड़ी चुनौती यह रही कि हर व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति अलग होती है। कभी-कभी छात्रों को योग के विभिन्न आसनों में कठिनाई होती है या वे मानसिक रूप से तैयार नहीं होते। लेकिन हर चुनौती एक अवसर भी बनती है, क्योंकि जब मैं छात्रों को उनके स्तर पर मदद करती हूं और वे सुधार देखते हैं, तो मुझे बहुत संतुष्टि मिलती है। योग के माध्यम से मैं उन्हें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बना सकती हूं।

आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में योग का क्या महत्व है?
उत्तर: आजकल की भागदौड़ और तनावपूर्ण जिंदगी में योग बहुत महत्वपूर्ण है।यह शरीर को लचीला और स्वस्थ बनाए रखता है, और मानसिक शांति भी देता है। योग का अभ्यास करने से शरीर और मन दोनों में संतुलन बनता है, जिससे तनाव, चिंता और मानसिक दबाव कम होता है। इसलिए, योग आज के समय में और भी जरूरी हो गया है। बच्चों में भी इसके सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है।जहां बच्चे मोबाइल और लैपटॉप की लत में घिरे हुए हैं उनके लिए भी योग बहुत जरूरी है।1 घंटा भी अगर बच्चे योग करते हैं तो आप उनमें अलग सकारात्मक प्रभाव देख सकते हैं।

क्या आप योग को सिर्फ एक शारीरिक अभ्यास के रूप में देखती हैं, या इसके मानसिक और आत्मिक लाभ भी हैं?
उत्तर: योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं है। यह मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। योग से न केवल शरीर मजबूत होता है, बल्कि यह मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन भी प्रदान करता है। प्राणायाम और ध्यान जैसे योग के अंग मानसिक तनाव को कम करने में मदद करते हैं। इसलिए, योग को एक समग्र जीवन पद्धति के रूप में देखना चाहिए।

जब छात्र योग में संघर्ष करते हैं, तो आप उन्हें कैसे प्रेरित करती हैं?
उत्तर: जब छात्र योग में संघर्ष करते हैं, तो मैं उन्हें समझाती हूं कि योग एक यात्रा है, एक दिन में या एक सप्ताह में सब कुछ नहीं बदल सकता। मैं उन्हें सिखाती हूं कि हर अभ्यास, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, महत्वपूर्ण होता है। मैं उन्हें धैर्य रखने और निरंतर अभ्यास करने के लिए प्रेरित करती हूं, क्योंकि समय के साथ वे खुद बदलाव महसूस करेंगे। मैं उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए हमेशा सकारात्मक रहती हूं।

योग और मानसिक स्वास्थ्य के बीच क्या संबंध है?
उत्तर: योग और मानसिक स्वास्थ्य के बीच एक गहरा संबंध है। योग से मन की शांति, संतुलन और आत्म-जागरूकता बढ़ती है। प्राणायाम और ध्यान के द्वारा हम मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद को कम कर सकते हैं। योग हमें अपने विचारों को नियंत्रित करने और शांत रहने का तरीका सिखाता है, जो मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह मानसिक स्थिति को स्थिर और सकारात्मक बनाता है।

भविष्य में योग के क्षेत्र में क्या विकास देखती हैं?
उत्तर: आने वाले समय में, योग के क्षेत्र में और अधिक नवाचार और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल देखने को मिलेगा। लोग अब डिजिटल माध्यम से योग का अभ्यास कर रहे हैं, जैसे ऑनलाइन योग कक्षाएं और वर्चुअल योग सेशन्स। साथ ही, योग को मानसिक स्वास्थ्य के इलाज के रूप में भी अधिक स्वीकार किया जा रहा है। योग को और अधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी समझने और प्रचारित करने की दिशा में काम किया जा रहा है, जिससे यह अधिक लोगों तक पहुंचे।

योग के अलावा आपकी जीवनशैली में और कौन सी आदतें महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर: योग के अलावा,मैं अच्छी नींद,संतुलित आहार और नियमित शारीरिक गतिविधियों पर ध्यान देती हूं। मैं मानसिक शांति के लिए ध्यान और प्राणायाम भी करती हूं। इसके अलावा, समय-समय पर अपने विचारों और जीवन के उद्देश्य का मूल्यांकन करना भी मेरी आदत है,ताकि मैं मानसिक रूप से मजबूत रह सकूं और जीवन में संतुलन बनाए रख सकूं।साथ में मैं एलोपैथी दवाओं को भी लेना पसंद नहीं करती।मैं अपने बच्चों को बुखार जुखाम या अन्य बीमारियों में प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा ठीक रखने का प्रयास करती हूं।

क्या कोई ऐसा योग आसन या प्रैक्टिस है जो आपको व्यक्तिगत रूप से विशेष रूप से लाभकारी लगता है?
उत्तर: हां, मुझे “अर्द्ध मत्स्येंद्र आसन” और “ध्यान” विशेष रूप से लाभकारी लगते हैं। अर्द्ध मत्स्येंद्र आसन से हमारी पाचन शक्ति बढ़ती है।कमर के लिए बहुत लाभकारी है।महिलाओं के लिए ये आसान बहुत उपयोगी है,जबकि ध्यान से मानसिक शांति मिलती है। दोनों ही अभ्यासों से मुझे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वयं को संतुलित रखने में मदद मिलती है।इसके अलावा प्राणायाम में नाड़ी शोधन मुझे बहुत उपयोगी लगता है लोगों में भ्रांति है कि इसके शारीरिक लाभ नहीं हैं परंतु मेरा अपना अनुभव है कि इससे हमें मानसिक के साथ शारीरिक लाभ भी मिलता है।मैंने सिर्फ नाड़ी शोधन द्वारा वजन कम होते हुए भी अनुभव किया है।

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